वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- बहुचर्चित सुखजीत सिंह हत्याकांड में शनिवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने एनआरआई पत्नी रमनदीप कौर को फांसी और उसके प्रेमी गुरुप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने मामले की विवेचना में लापरवाही बरतने
रमनदीप कौर ने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ इंग्लैंड में शाहजहांपुर के सुखजीत सिंह से प्रेम विवाह किया। उसके दो बच्चे हुए। इस दौरान उसे पाठ के दोस्त मिट्ठू से प्यार हो गया। वजह जो भी रही हो दुबई निवासी इस दोस्त के साथ मिलकर उसने पति की हत्या की साजिश डाली।
रमनदीप कौर ने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ इंग्लैंड में शाहजहांपुर के सुखजीत सिंह से प्रेम विवाह किया। उसके दो बच्चे हुए। इस दौरान उसे पाठ के दोस्त मिट्ठू से प्यार हो गया। वजह जो भी रही हो दुबई निवासी इस दोस्त के साथ मिलकर उसने पति की हत्या की साजिश डाली।
बच्चों और पति के साथ बंडा के बसंतापुर पहुंची। वहीं प्रेमी के साथ मिलकर पति का कत्ल कर दिया। अपने प्रेमी को बचाने के लिए उसे वहां से भगा दिया, लेकिन पुलिस की सक्रियता की वजह से मामला खुल गया और दोनों सलाखों के पीछे पहुंच गए।
एनआरआई पत्नी को फांसी, प्रेमी को उम्रकैद
जानकारी के अनुसार, बहुचर्चित सुखजीत सिंह हत्याकांड में शनिवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने एनआरआई पत्नी रमनदीप कौर को फांसी और उसके प्रेमी गुरुप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने मामले की विवेचना में लापरवाही बरतने पर डीजीपी से विवेचक राजेश कुमार सिंह के खिलाफ एक सप्ताह में कार्रवाई की अनुशंसा की।
बंडा के बसंतापुर के मूल निवासी सुखजीत इंग्लैंड के डर्बी शहर में रहते थे। उनका फार्म हाउस बसंतापुर में है। सुखजीत की पंजाब के कपूरथला की तहसील सुल्तानपुर लोधी के गांव जैनपुर के मूल निवासी और दुबई में रहने वाले गुरुप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू सिंह से स्कूल के समय से मित्रता थी। सुखजीत ने जालंधर की मूल निवासी और इंग्लैंड के डर्बी शहर निवासी रमनदीप कौर से सन 2000 में शादी की थी।
इसके बाद मिट्ठू और सुखजीत की पत्नी रमनदीप कौर के बीच प्रेम संबंध हो गए। 28 जुलाई, 2016 को सुखजीत पत्नी, बच्चों और अपने दोस्त मिट्ठू के साथ भारत आए थे। देश में कई जगह घूमने के बाद वह 15 अगस्त को अपने बसंतापुर स्थित फार्म हाउस पहुंचे। एक सितंबर की रात सुखजीत की गला काटकर हत्या कर दी गई। इस मामले में पुलिस ने मिट्ठू और रमनदीप को गिरफ्तार कर घटना का खुलासा किया था।
पुलिस के अनुसार प्रेम संबंध में रोड़ा बनने पर रमनदीप ने प्रेमी मिट्ठू के साथ मिलकर सुखजीत की हत्या की थी। एक साल बाद रमनदीप और मिट्ठू जमानत पर बाहर आ गए थे। मुकदमा चलने के दौरान अदालत में घटना के चश्मदीद बेटे अर्जुन समेत 16 गवाह पेश किए गए।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा ने बताया कि पांच अक्तूबर को अदालत ने गवाहों के बयान और सरकारी वकील के तर्कों को सुनने के बाद रमनदीप और मिट्ठू को दोषी माना था। शनिवार को अदालत ने दोनों की सजा का एलान किया। रमनदीप कौर को फांसी और मिट्ठू को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत ने रमनदीप पर पांच लाख और मिट्ठू पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
‘मिट्ठू ने चाकू लाकर दिया, मम्मी ने काट दिया डैडी का गला’
सुखजीत हत्याकांड में वैसे तो 16 गवाह पेश किए गए लेकिन घटना के चश्मदीद रमनदीप कौर के बेटे अर्जुन सिंह की गवाही सबसे महत्वपूर्ण रही। बता दें कि रमनदीप ने एक सितंबर 2016 को अपने प्रेमी मिट्ठू के साथ मिलकर पति सुखजीत सिंह की हत्या कर दी थी। बंडा के बसंतापुर के मूल निवासी सुखजीत इंग्लैंड के डर्बी शहर में रहते थे। उनका फार्म हाउस बसंतापुर में है।
बंडा के बसंतापुर स्थित फार्म हाउस में ही वारदात हुई थी। इस हत्याकांड में अदालत ने सुखजीत की पत्नी रमनदीप को फांसी और उसके प्रेमी मिट्ठू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुखजीत की हत्या के चश्मदीद बेटे अर्जुन ने अदालत को बताया कि घटना की रात वह भी उसी कमरे में था, जिसमें डैडी सोए थे। आहट सुनकर उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि डैडी के सीने पर उसकी मम्मी बैठी थीं।
तकिये से उनका मुंह दबाया हुआ था। पास में खड़े मिट्ठू ने हथौड़े से डैडी के सिर पर दो वार किए। डैडी बहुत हिल रहे थे तो मम्मी ने मिट्ठू से कहा कि इसे फिनिश कर दो। मिट्ठू ने कहीं से चाकू लाकर मम्मी को दिया और मम्मी ने डैडी की गर्दन चाकू से काट दी। डर के कारण वह चादर के अंदर बिना हिले-डुले पड़ा रहा। बयानों में अर्जुन ने यह भी कहा था कि डैडी की हत्या में शामिल मम्मी अब उसके लिए केवल रमनदीप कौर है। घटना के समय अर्जुन की आयु दस वर्ष थी।
वर्तमान में 17 वर्षीय अर्जुन और उनका छोटा भाई 14 वर्षीय एमन इंग्लैंड में अपनी बुआ के पास रहकर पढ़ रहे हैं। सुखजीत के फार्म हाउस पर काम करने वाले रामदास ने भी बयान दिए थे कि उसने मिट्ठू और रमनदीप को खेत व घर में आपत्तिजनक हालत में देखा है। इसके बारे में उसने वादिनी यानी सुखजीत की मां वंश कौर को भी बताया था। प्रेम संबंध में रोड़ा बनने पर रमनदीप कौर ने प्रेमी मिट्ठू सिंह के साथ मिलकर सुखजीत की हत्या की थी। एक साल बाद रमनदीप और मिट्ठू जमानत पर बाहर आ गए थे। मुकदमा चलने के दौरान अदालत में घटना के चश्मदीद बेटे अर्जुन समेत 16 गवाह पेश किए गए।
विवेचक ने रुपये लेकर चश्मदीद के बयान दर्ज नहीं किए
संगीन वारदात के बावजूद विवेचक और तत्कालीन बंडा के थाना प्रभारी ने घोर लापरवाही की। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि राजेश कुमार सिंह ने जिस तरह लापरवाही पूर्वक विवेचना की, वह समझ से परे है। उसने चश्मदीद साक्ष्य सुखजीत के बेटे अर्जुन के बयान दर्ज नहीं किए। राजेश सिंह ने कहा कि चूंकि अर्जुन विदेश में पढ़ता है और मानवता के आधार पर उसका बयान नहीं दर्ज किया।
वहीं सुखजीत सिंह के फार्म हाउस पर काम करने वाले रामदास ने अदालत में बयान दिया था कि घटना के बाद रमनदीप ने उससे लिफाफा मंगाया था और उसमें कई नोट डालकर पुलिस को दिए थे। ऐसे में साफ है कि केस कमजोर करने और दोषियों को बचाने के लिए चश्मदीद साक्षी का बयान दरोगा ने दर्ज नहीं किया था। कोर्ट ने कहा कि सुखजीत की मां वंश कौर ने एसपी से मिलकर प्रार्थना पत्र दिया जिसके बाद दोबारा विवेचना हुई।
कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिए कि वह पुलिस की छवि को सुधारने के लिए विवेचक राजेश कुमार सिंह के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई करें। वह आम लोगों को यह विश्वास दिलाएं कि पुलिस पैसे लेकर काम नहीं करती और न ही पैसे लेकर केस बनाती और बिगाड़ती है। दो माह के अंदर यह अवगत कराएं कि क्या विभागीय कार्रवाई विवेचक के खिलाफ की गई?
हाईकोर्ट में अपील करेंगे अधिवक्ता
रमनदीप कौर के पक्ष में उसके अधिवक्ता ने अदालत के सामने यह तर्क प्रस्तुत किया कि उसका भरा-पूरा परिवार है जिसके देखभाल की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है। उसका यह पहला अपराध है। उसकी सास ने पति की हत्या में उसे ही फंसा दिया है। वहीं गुरुप्रीत उर्फ मिट्ठू के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि उसके परिवार की जिम्मेदारी वह उठाता है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उसे कम से कम सजा दी जाए। हालांकि अदालत ने सारे तर्क मानने से इन्कार कर दिया। रमनदीप और मिट्ठू के अधिवक्ता और सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रजेश वैश्य ने कहा कि वह अब उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।